Indian Penal Code 1860
- Chapter XII
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Section 233:- Making or selling instrument for counterfeiting coin
Whoever makes or mends, or performs any part of the process of
making or mending, or buys, sells or disposes of, any die or instrument, for
the purpose of being used, or knowing or having reason to believe that it is
intended to be used, for the purpose of counterfeiting coin, shall be punished
with imprisonment of either description for a term which may extended to three
years, and shall also be liable to fine.
Classification of Offence –
>> It is Cognizable – Non Bailable offence and triable
by the First Class Magistrate
>> Punishment – Simple 3 year Imprisonment With Fine
धारा 233 आईपीसी – सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना
या बेचना , IPC Section 233
भारतीय दंड संहिता की धारा 233 के अनुसार, जो कोई किसी डाई या उपकरण को सिक्के के कूटकरण के लिए उपयोग में
लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या यह विश्वास करने
का कारण रखते हुए कि वह सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा या सुधारेगा या बनाने या सुधारने की प्रव्रिEया के किसी भाग को करेगा, अथवा खरीदेगा, बेचेगा या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के
कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा
और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
अपराध की श्रेणी
>> यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
>>सजा - तीन वर्ष साधारण कारावास या आर्थिक दंड या दोनों।
अपराध
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सजा
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संज्ञेय
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जमानत
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विचारणीय
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नकली सिक्के के उद्देश्य के लिए
साधन बनाना, खरीदना या बेचना
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3 साल + जुर्माना
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संज्ञेय
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गैर जमानतीय
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प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
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