Indian Penal Code 1860 - Chapter IV
धारा 100 आईपीसी- किसी की मॄत्यु कारित करने पर शरीर की
निजी प्रतिरक्षा का अधिकार कब लागू होता है। , IPC
Section 100
Section 100 in Indian Penal Code
Section 100: When the right of private defence of the body extends to causing death
Such an assault as may reasonably cause the apprehension that death will otherwise be the consequence of such assaults the right of private defence of the body extends, under the restrictions mentioned in the last preceding section, to the voluntary causing of death or of any other harm to the assailant, if the offence which occasions the exercise of the right be of any of the descriptions hereinafter enumerated, namely:
- Such an assault as may reasonably cause the apprehension that grievous hurt will otherwise be the consequence of such assault;
- An assault with the intention of committing rape;
- An assault with the intention of gratifying unnatural lust;
- An assault with the intention of kidnapping or abducting;
- An assault with the intention of wrongfully confining a person, under circumstances which may reasonably cause him to apprehend that he will be unable to have recourse to the public authorities for his release.
- An act of throwing or administering acid or an attempt to throw or administer acid which may reasonably cause the apprehension that grievous hurt will otherwise be the consequence of such act.
- IIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII
धारा 100 आईपीसी- किसी की मॄत्यु कारित करने पर शरीर की
निजी प्रतिरक्षा का अधिकार कब लागू होता है। , IPC
Section 100
भारतीय दंड संहिता की
धारा 100 के अनुसार, शरीर की निजी प्रतिरक्षा
के अधिकार का विस्तार, पूर्ववर्ती धारा में
वर्णित बंधनों के अधीन रहते हुए, हमलावर की स्वेच्छा पूर्वक मॄत्यु कारित करने या
कोई अन्य क्षति कारित करने तक है, यदि वह अपराध, जिसके कारण उस अधिकार के
प्रयोग का अवसर आता है, एतस्मिनपश्चात निम्न
प्रगणित भांतियों में से किसी भी भांति का है, अर्थात्: -
1.
ऐसा हमला जिससे यथोचित रूप से यह आशंका कारित हो कि अन्यथा ऐसे हमले
का परिणाम मॄत्यु होगा।
2.
ऐसा हमला जिससे यथोचित रूप से आशंका कारित हो कि अन्यथा ऐसे हमले का
परिणाम घोर क्षति होगा;
3.
बलात्संग करने के आशय से किया गया हमला;
4.
प्रकॄति-विरुद्ध काम-तॄष्णा की तॄप्ति के आशय से किया गया हमला;
5.
व्यपहरण या अपहरण करने के आशय से किया गया हमला;
6.
इस आशय से किया गया हमला कि किसी व्यक्ति का ऐसी परिस्थितियों में
अनुचित रूप से प्रतिबंधित किया जाए, जिनसे उसे यथोचित रूप से यह आशंका कारित हो कि
वह अपने को छुड़वाने के लिए लोक प्राधिकारियों की सहायता प्राप्त नहीं कर सकेगा;
7.
तेजाब फेकने का कार्य या प्रयास करना जिससे यथोचित रूप से आशंका
कारित हो कि अन्यथा ऐसे कृत्य का परिणाम घोर क्षति होगा। (आपराधिक कानून (संशोधन)
अधिनियम, 2013)।
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